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अब तो अवतार लो प्रभु जी




अब तो अवतार लो प्रभु जी

मानव पर विपदा आन पड़ी है
मची हुई है चीख पुकार
अंधे की तुम लाठी बनो
बनो तुम बहरे की कान
अब तो अवतार लो प्रभु जी।
आज पीठ में छुरा भोंक रहा है
जिसे हमनें,अपने ही हाथों से गुलजार किया
संघर्षों का दौर जारी है
धरती पर संकट है भारी
अब तो अवतार लो प्रभु जी।
आखिर मैं किसे सुनाऊंगा
अपने टूटे हुए दिल का किस्सा
जिंदगी ने अजब से मंजर दे दिए हैं
कांटो से भरा हुआ है सफर मेरा
अब तो अवतार लो प्रभु जी।
सुख से वंचित है बहुतेरे
आज किसका नही है दुःख से नाता
दर दर भटक रहें है लोग
सुख की खोज में आज
अब तो अवतार लो प्रभु जी।
मानव पर विपदा आन पड़ी है
मची हुई है चीख पुकार
अंधे की तुम लाठी बनो
बनो तुम बहरे की कान
अब तो अवतार लो प्रभु जी।

नूतन लाल साहू



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सुन्दर रचना

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